"धान": अवतरणों में अंतर
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'''''ओराय्ज़ा सैटिवा''''' (जिसका प्रचलित नाम 'एशियाई धान' है) एक पादप की जाति है। इसका सबसे छोटा [[जीनोम]] होता है (मात्र ४३० एम.बी.) जो केवल १२ [[क्रोमोज़ोम]] में सीमित होता है। इसे सरलता से जेनेटिकली अंतरण करने लायक होने की क्षमता हेतु जाना जाता है। यह अनाज जीव-विज्ञान में एक मॉडल जीव माना जाता है। |
'''''ओराय्ज़ा सैटिवा''''' (जिसका प्रचलित नाम 'एशियाई धान' है) एक पादप की जाति है। इसका सबसे छोटा [[जीनोम]] होता है (मात्र ४३० एम.बी.) जो केवल १२ [[क्रोमोज़ोम]] में सीमित होता है। इसे सरलता से जेनेटिकली अंतरण करने लायक होने की क्षमता हेतु जाना जाता है। यह अनाज जीव-विज्ञान में एक मॉडल जीव माना जाता है। |
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[https://janglekheti.blogspot.com/2023/06/blog-post_76.html धान की खेती] |
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== धान के उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक == |
== धान के उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक == |
14:00, 16 जुलाई 2023 का अवतरण
ओराय्ज़ा सैटिवा | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | पादप |
अश्रेणीत: | एंजियोस्पर्म |
अश्रेणीत: | एकबीजपत्री |
अश्रेणीत: | कॉमेलिनिड |
गण: | पोअलेस |
कुल: | पोआसी |
वंश: | Oryza |
जाति: | ओ सैटिवा |
द्विपद नाम | |
ओराय्ज़ा सैटिवा |
धान (Paddy / ओराय्ज़ा सैटिवा) एक प्रमुख फसल है जिससे चावल निकाला जाता है। यह भारत सहित एशिया एवं विश्व के बहुत से देशों का मुख्य भोजन है। विश्व में मक्का के बाद धान ही सबसे अधिक उत्पन्न होने वाला अनाज है।
ओराय्ज़ा सैटिवा (जिसका प्रचलित नाम 'एशियाई धान' है) एक पादप की जाति है। इसका सबसे छोटा जीनोम होता है (मात्र ४३० एम.बी.) जो केवल १२ क्रोमोज़ोम में सीमित होता है। इसे सरलता से जेनेटिकली अंतरण करने लायक होने की क्षमता हेतु जाना जाता है। यह अनाज जीव-विज्ञान में एक मॉडल जीव माना जाता है।
धान के उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक
- उत्पादक कटिबन्ध
- तापमान -25
- वर्षा -100
- मिट्टी
धान के रोग
रोगों का विस्तार तापमान एवं अन्य जलवायु सम्बंधी कारको पर निर्भर करता है तथा साथ ही सस्य-क्रियाओं का भी प्रभाव पड़ता है। धान के मुख्य रोगों को उनके कारकों के आधार पर तीन भागों में बाँटा जाता है:
कवकीय रोग (Fungal)- कवक के कारण उत्पन्न रोग
- बदरा (Blast)
- तनागलन (Stem rot)
- तलगलन एवं बकाने (Foot rot & bakanae)
- पर्णच्छद गलन (Sheath rot)
- पर्णच्छद अंगमारी (Sheath blight)
- भूरी-चित्ती (Brown spot)
- आभासी कांगियारी (False smut)
- उदबत्ता (Udbatta)
जीवाणुज़ रोग (Bacterial) - जीवाणुओं के कारण उत्पन्न रोग
- जीवाणुज़ पत्ती अंगमारी (Bacterial leaf blight)
- जीवाणुज़ पत्ती रेखा (Bacterial leaf streak)
वाइरस रोग (Virus) - वाइरस के कारण उत्पन्न रोग
- टुंग्रो (Tungro)
- घासीय-वृद्धि रोग (Grassy stunt)
धान के उत्पादन का विश्व वितरण
विश्व के २० प्रमुख धान उत्पादक देश (मिलियन मेट्रिक टन)[1] | |
---|---|
चीन | 204.3 |
भारत | 152.6 |
इण्डोनेशिया | 69.0 |
वियतनाम | 43.7 |
थाईलैण्ड | 37.8 |
बांग्लादेश | 33.9 |
म्यान्मार | 33.0 |
फ़िलीपीन्स | 18.0 |
ब्राज़ील | 11.5 |
जापान | 10.7 |
पाकिस्तान | 9.4 |
कम्बोडिया | 9.3 |
संयुक्त राज्य अमेरिका | 9.0 |
दक्षिण कोरिया | 6.4 |
मिस्र | 5.9 |
नेपाल | 5.1 |
नाईजीरिया | 4.8 |
मैडागास्कर | 4.0 |
श्रीलंका | 3.8 |
लाओस | 3.5 |
स्रोत : खाद्य एवं कृषि संगठन |
धान का लावा
धान को भूनकर लावा बनाया जाता है। संस्कृत में इसे लाजा कहते हैं। इसे धान की खील भी कहा जाता है। हिन्दू त्योहारों विशेषकर नागपंचमी और दीपावली के अवसर पर यह लावा पूजा में प्रयुक्त होता है। हिन्दू विवाह संस्कार में धान को भूनकर उसके लावा से लाजाहोम करते हैं। विवाह में होने वाले सात फेरों में भाई हर फेरे के बाद धान का लावा डालता है।[उद्धरण चाहिए]
भारत के लिए यह बिल्कुल सही बात है
- ↑ fao.org (FAOSTAT). "Countries by commodity (Rice, paddy)". मूल से July 13, 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि February 11, 2014.