तेली
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तेली परंपरागत रूप से भारत, पाकिस्तान और नेपाल में तेल पेरने और बेचने वाली जाति है। साहू,गुप्ता,तेली के पेली ,मिश्रा ,जाट ,शुक्ला,अहिरवार , भारती,पासवान,श्रीवास्तव ,खन्ना
आदि
साहू या तेली जाति वैश्य वर्ण के अंतर्गत आती है। इस जाति का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि भारत में जाति। गुप्तकाल में जाति प्रथा के स्पष्ट चिन्हों के साथ तेली जाति का वर्णन भी मिलता है।तेल व्यापारियों की एक श्रेणी का विवरण गुप्त काल में मंदिरो को दीपक जलाने के लिए तेल के दान करने वाले धनी वर्ग के रूप में मिलता है। तेल के उत्पादन और व्यवसाय करने वाले जाति को तेली कहा गया है जो मध्यकाल में व्यावसायिक श्रेणी में प्रमुख रहे। इनका विस्तार भारत में अन्य जातियों की तुलना में बहुत अधिक है । मुख्य रूप से मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान गुजरात उत्तरप्रदेश झारखंड बिहार में संकेन्द्रण अधिक है। तेली जाति के महान व्यक्तित्व में भक्त माता कर्मा, दानवीर देशभक्त भामाशाह, दिल्ली का मध्यकालीन सम्राट हेमू विक्रमादित्य, भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते हैं।हिन्दुओ में तेली जाति की संख्या सर्वाधिक है तथा तेली जाति का सामाजिक संगठन बहुत मजबूत है जिसके कारण वोट की राजनीति में तेली जाति दबाव समूह का काम कर रही है। तेली जाति के लोग अंग्रेजों के समय औद्योगीकरण के फलस्वरूप तथा वर्तमान में तेल उत्पादन के मूल यन्त्र घानी के समाप्ति के साथ मुख्य रूप से कृषक समूह में परिवर्तित हो गए हैं जो मेहनती शांतिप्रिय और सरल स्वाभाव के होते हैं।