“कालेज कुछ और दे न दे जिंदगी भर के लिए कुछ दोस्त जरूर दे देता है।” यह कहानी ऐसे ही चार दोस्तों की है जो प्यार के बारे में अलग-अलग राय रखते हैं। आखिरकार जब उन्हें सच में प्यार होता है तब उन्हें यह पता चलता है कि कालेज का संसार और बाहर की दुनिया दो अलग-अलग चीजें हैं। और तब उनका संघर्ष शुरु होता है- यह संघर्ष है प्यार का, प्रैक्टिकल्स का, असाइनमेंट्स का, प्रोफेसर्स का और इस समाज का। ये दोस्त साथ मिलकर प्यार को जीने और उसे पाने की जो कोशिशें करते हैं वो इन्हें ‘The चिरकुट्स’ बना देती हैं।
Cliched web series plot. College life, friends, love interest, parents.
I do not know where is this neo-Hinglish fiction literature is headed. These are just selling tactics like the Bollywood these days. The golden days of the Hindi literature are gone.
On the positive side, the writing did not made me feel that this is the author’s first book. The way he handled the romantic side of the story was deep and realistic enough. However, the story felt more like a memoir than an actual authentic novel and the ending was pretty much predictable.
अपने प्यार को पाने के लिए एक सच्चा आशिक हर मुसीबत से लड़ने की ताकत रखता है चाहे वह समाज हो या परिवार। और उसके इस प्यार की जंग में साथ देने के लिए कुछ अच्छे दोस्त जो उनकी ताकत और उम्मीद होते है।इसी कहानी को बयां करती है "the चिरकुट्स"