भगत सिंह कोश्यारी
भगत सिंह कोश्यारी | |
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भगत सिंह कोश्यारी | |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण ०५ सप्टेंबर २०१९ | |
पूर्वा धिकारी | चेन्नामनेनी विद्यासागर राव |
पद बहाल 30 अक्टूबर 2001 – 1 मार्च 2002 | |
पूर्वा धिकारी | नित्यानन्द स्वामी |
उत्तरा धिकारी | नारायणदत्त तिवारी |
चुनाव-क्षेत्र | नैनीताल |
जन्म | 17 जून 1942 अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
धर्म | हिन्दू |
भगत सिंह कोश्यारी भारतीय राजनीति में उत्तर भारत का एक परिचित नाम है, वे वर्तमान महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। जो भारतीय जनता पार्टी से सम्बधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे उत्तराखण्ड राज्य के द्वितीय सफल मुख्यमन्त्री तथा उत्तराखण्ड विधानसभा में 2002 से 2007 तक विपक्ष के शीर्ष नेता रह चुके हैं। 31 अगस्त 2019 को श्री भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया।
प्रारम्भिक तथा व्यक्तिगत जीवन
[संपादित करें]भगत सिंह कोश्यारी का जन्म १७ जून १९४२ को उत्तराखण्ड के कुमांऊँ क्षेत्र के बागेश्वर जिले के कपकोट ब्लाक केे एक गॉंव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा में पूरी की और उसके पश्चात उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की।
राजनैतिक जीवन का प्रारम्भ
[संपादित करें]कोश्यारीजी का राजनैतिक जीवन का प्रारम्भ शिक्षणकाल के दौरान ही प्रारम्भ हो गया था। शिक्षणकाल में ही अपने जीवन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिये समर्पित कर चुके हैं। वर्ष २००५-२००७ के बीच वे भारतीय जनता पार्टी के उत्तराखण्ड राज्य प्रमुख थे। उस समय मतबर सिंह कण्डारी विपक्ष के नेता थे।
राजनैतिक जीवन
[संपादित करें]वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। १९७७ में आपातकाल के समय उन्होंने विरोध किया और उन्हें बंदी बनाया गया। वर्ष २००० में उन्हें नए बने राज्य उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) का ऊर्जा, सिंचाई, कानून और विधायी मामलों का मंत्री नियुक्त किया गया। २००१ में वे नित्यानन्द स्वामी के स्थान पर मुख्यमंत्री बने। उन्होंने उत्तराखण्ड में भाजपा के राज्य अध्यक्ष का भी पदभार सम्भाला। २००२ के राज्य विधानसभअ चुनावों में अपने दल की हार के पश्चात उन्होंने मुख्यमंत्री का पदत्याग किया और उत्तरांचल विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।
वर्ष २००७ के राज्य विधानसभा चुनावों में में भाजपा की जीत के पश्चात भी उन्हें मुख्यमंत्री न बनाकर उनके प्रमुख प्रतिद्वन्दी मेजर जनरल भुवन चन्द्र खण्डूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को उनकी प्रशासनिक योग्यता पर विश्वास नहीं था जबकि उन्हें संघ और अधिसंख्य विधायकों का समर्थन प्राप्त था। अब वे राज्यसभा के सदस्य हैं।
सामाजिक जीवन
[संपादित करें]उत्तराखंड के 2002 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हार जाने के बाद कोश्यारी ने 2002 से 2007 तक विधानसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद उन्होंने 2007 से 2009 तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली, इसी दौरान 2007 में बीजेपी की उत्तराखंड की सत्ता में वापसी हुई. लेकिन पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया. इसके बाद पार्टी वह 2008 से 2014 तक उत्तराखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे. 2014 में बीजेपी ने नैनीताल सीट संसदीय सीट से उन्हें मैदान में उतारा और वह जीतकर पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए, लेकिन 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. आरएसएस से भगत सिंह कोश्यारी की काफी नजदीकी होने के चलते मोदी सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी है.
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- भगत सिंह कोश्यारी : ठेठ पहाड़ी नेता[मृत कड़ियाँ]
- कोश्यारी के इस्तीफे से खंडूड़ी पर संकट हिन्दुस्तान समाचार।
- कोश्यारी का इस्तीफ़ा, भाजपा में फिर सामने आई गुटबाज़ी[मृत कड़ियाँ]
- जनरल ने राज्य प्रमुख को पछाड़ा, मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार टाइम्स ऑफ इंडिया समाचार। (अंग्रेज़ी)
पूर्वाधिकारी नित्यानन्द स्वामी |
उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्री २००१–२००२ |
उत्तराधिकारी नारायण दत्त तिवारी |