भारत साधु समाज
भारत साधु समाज, भारतीय विचारधारा के सभी सम्प्रदायों और धर्मों के विरक्त सन्तों का संगठन है। इस संस्था की स्थापना 1956 में हुई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है और सभी तीर्थ स्थानों में विरक्त सन्तों का निवास है, वहां इस संस्था का सुदृढ़ संगठन है। इस संस्था के संगठन की परिकल्पना प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, गुलजारी लाल नंदा ने की थी।[1] भारत के प्रसिद्ध संत तुकडोजी महाराज संस्था के संस्थापक अध्यक्ष थे, इस संघटन को बढाने के लिए, साधू संत का संगठित करने के हेतू और श्रद्धावान व्यक्ति को जोड़ने के लिए तुकडोजी महाराज को जोड़ा गया।[2] इस संगठन में राष्ट्र के सभी संप्रदायों के संत जुड़ गए हैं। अक्षरधाम के संस्थापक प्रमुख स्वामी और शिवानंद मिशन के श्री स्वामी शिवानंद सरस्वती भी इस संगठन में जुड़ गए। सदगुरु महामहिम महातंत्रयोगी डॉ० रमेश परमहंसजी इस संस्थान को संचालित किया। २००५ में ब्रह्मलीन हो जाने के कारण अब संस्थान को उनके परिवार के सदस्य संचालित कर रहे है। सदगुरु डॉ० रमेश परमहंस जी ने अपने गुरु स्वामी जनार्दन परमहंस जी की आज्ञानुसार भारत की राजनीति में सत्य और धर्म के लिए लगातार भगवान से प्रार्थना की। समाज के लगभग ४० हजार सदस्य हैं जिनमें से पाँच हजार सक्रिय हैं तथा संघ के विभिन्न कार्यक्रमों की देखरेख करते हैं। संघ के २२ से अधिक शाखाएँ भारत के विभिन्न भागों में हैं। संघ की महापरिषद में १२५ सदस्य हैं जिसमें भारत के सभी प्रमुख सम्प्रदायों के प्रतिनिधि सम्मिलित हैं। [3]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Menon, Nikhil (2022-07-14). "The folly of soft Hindutva: How Congress was singed by its patronage of the Bharat Sadhu Samaj". Scroll.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-09-01.
- ↑ "When Sadhus Promoted Five-Year Plans". thewire.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-09-01.
- ↑ "Can 40,000 Holy Men Shepherd India's Future?". मूल से 28 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मई 2020.