लम्हे
लम्हे | |
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लम्हे का पोस्टर | |
निर्देशक | यश चोपड़ा |
लेखक |
हनी ईरानी राही मासूम रज़ा |
अभिनेता |
अनिल कपूर, श्री देवी, वहीदा रहमान, अनुपम खेर, दीपक मल्होत्रा, ललित तिवारी, ईला अरुण, मनोहर सिंह, |
संगीतकार | शिव-हरि |
प्रदर्शन तिथियाँ |
22 नवंबर, 1991 |
देश | भारत |
भाषा | भारत |
लम्हे 1991 में बनी हिन्दी भाषा की नाटकीय प्रेमकहानी फ़िल्म है। फिल्म की प्रमुख भूमिकाओं में अनिल कपूर और श्रीदेवी है जबकि वहीदा रहमान, अनुपम खेर और मनोहर सिंह सहायक भूमिका निभाते हैं। हालांकि फिल्म वित्तीय सफलता नहीं थी लेकिन इसे आलोचनात्मक प्रशंसा प्राप्त हुई थी। इसे एक राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सहित पाँच फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुए थे।
संक्षेप
[संपादित करें]वीरेन्द्र प्रताप सिंह (अनिल कपूर) अपनी दाई माँ (वहीदा रहमान) के साथ राजस्थान जाता है। वहाँ वो पल्लवी (श्रीदेवी) से मिलता है और उससे प्यार करने लगता है। लेकिन पल्लवी सिद्धार्थ से प्यार करती है और उससे शादी भी कर लेती है। वीरेन्द्र का दिल टूट जाता है और वो लंदन चला जाता है। वहाँ वो अपने दोस्त प्रेम (अनुपम खेर) के साथ सब कुछ भूलने की कोशिश करता है। कुछ साल बाद एक कार हादसे में पल्लवी और सिद्धार्थ मर जाते हैं। लेकिन उनकी बेटी पूजा बच जाती है जिसे दाई माँ द्वारा ही पाला जाता है।
वीरेन्द्र एकाध साल बाद भारत लौटता है। कई साल बाद जब वो बड़ी हो चुकी पूजा (श्रीदेवी) से मिलता है, तो देखकर चौक जाता है कि वो बिल्कुल अपनी माँ और उसके प्यार जैसी दिखती है। वो उससे दूरी बनाए रखता है। कुछ वर्षों बाद दाई माँ पूजा को लंदन घुमाने लाती है। वहाँ वो वीरेन्द्र को कबूल करने लगती है और उससे शादी करने को तैयार हो जाती है। लेकिन वो उससे इंकार कर देता और कहता है कि वो उससे नहीं उसकी माँ से प्यार करता था। पूजा वापिस भारत लौटती है और धीरे-धीरे वीरेन्द्र को भूलते हुए दूसरे कामों में व्यस्त हो जाती है। लेकिन वो उसे नहीं भूल पाता है और उसे ढूंढ कर उससे प्यार का इजहार करता है जिसे वो स्वीकार करती है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- अनिल कपूर - वीरेन्द्र प्रताप सिंह (उर्फ वीरेन्द्र / कुँवर जी)
- श्री देवी - पल्लवी और पूजा
- वहीदा रहमान - दाईजान
- अनुपम खेर - प्रेम आनन्द
- दीपक मल्होत्रा - सिद्धार्थ भटनागर
- ललित तिवारी - सुधेश्वर नारायण तिवारी
- मनोहर सिंह - ठाकुर
- ऋचा पल्लोद - छोटी पूजा
- ईला अरुण - गीत "चूड़ियाँ खनक गयी" में
संगीत
[संपादित करें]फ़िल्म का संगीत शिवकुमार शर्मा और हरिप्रसाद चौरसिया (शिव-हरि की जोड़ी के रूप में) द्वारा दिया गया है तथा गीतकार आनंद बख्शी हैं।
गीत | गायक |
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"ये लम्हे ये पल" | हरिहरन |
"ये लम्हे ये पल (उदास संस्करण)" | हरिहरन |
"म्हारे राजस्थान मा" | मोईनुद्दीन |
"मोहे छेड़ो ना" | लता मंगेशकर |
"चूड़ियाँ खनक गयी" ("म्हारे राजस्थान मा" के कुछ अंश शामिल) | लता मंगेशकर, मोईनुद्दीन और ईला अरुण |
"चूड़ियाँ खनक गयी (उदास संस्करण)" | लता मंगेशकर |
"कभी मैं कहूँ" | लता मंगेशकर और हरिहरन |
"मेघा रे मेघा" | लता मंगेशकर और ईला अरुण |
"याद नहीं भूल गया" | लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर |
"गुड़िया रानी" | लता मंगेशकर |
"मेरी बिंदिया" | लता मंगेशकर |
"फ्रिक आउट (पैरोडी गीत)" | पमेला चोपड़ा, सुदेश भोंसले |
"मोमेंट्स ऑफ़ रेज" | वाद्य संगीत |
"मोमेंट्स ऑफ़ पैशन" | वाद्य संगीत |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]- 1992 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार - यश चोपड़ा
- 1992 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार - श्री देवी
- 1992 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार - हनी ईरानी
- 1992 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन पुरस्कार - राही मासूम रज़ा
- 1992 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - अनुपम खेर