सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा
सिग्मा सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (σ Sgr या σ Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २२८ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है।
अन्य भाषाओं में
[संपादित करें]सिग्मा सैजिटेरियाइ को अंग्रेज़ी में "ननकी" (Nunki) भी कहा जाता है जो असीरियाई या बेबीलोनियाई भाषाओँ से लिया गया है और जिसका अर्थ "धरती का राजकुमार" था। यह नाम इतिहासकारों को खुदाई करने पर बेबीलोनियाई पुरातन स्थलों पर मिला और तारे के वर्णन से अंदाज़ा लगाया गया के यह सिग्मा सैजिटेरियाइ को बेबीलोनियाईओं द्वारा दिया गया नाम ही रहा होगा। भारतीय संस्कृति में ज़ेटा सैजिटेरियाइ (ζ Sgr) और सिग्मा सैजिटेरियाइ के दो तारे उत्तराषाढ़ नक्षत्र बनाते हैं।[1]
वर्णन
[संपादित करें]सिग्मा सैजिटेरियाइ का मुख्य तारा एक नीले-सफ़ेद रंग वाला B2.5 V श्रेणी का तारा है। इसकी अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की ३३०० गुना है। इसका व्यास (डायामीटर) हमारे सूरज के व्यास का ५ गुना और इसका द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान का लगभग ७ गुना है। संभव है कि इसके साथ एक साथी तारा भी हो जिसके साथ यह एक द्वितारा मंडल हो लेकिन वैज्ञानिकों को यह पक्का ज्ञात नहीं है।
आकाश में सिग्मा सैजिटेरियाइ सूर्यपथ (ऍक्लिप्टिक) के बहुत पास दिखता है और कभी-कभी चन्द्रमा के पीछे छुप हो जाता है। बहुत ही लम्बे अंतरालों के बाद कभी-कभार यह सौर मंडल के किसी ग्रह के पीछे भी छुप जाता है। १७ नवम्बर १९८१ की रात को यह शुक्र के पीछे छुपा था। यह मंगल के पीछे भी छुप सकता है लेकिन पिछली दफ़ा यह आज से सैंकड़ों साल पूर्व सन् ४२३ ईसवी की ३ सितम्बर की तिथि को मंगल द्वारा छुपाया गया था।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Sivapriyananda. "Astrology and religion in Indian art". Abhinav Publications, 1990. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788170172314.
... Purvasadha (Delta and Epsilon Sagittarii), (21) Uttarasadha (Zeta and Sigma Sagittarii), (22) Sravana (Alpha, Beta and Gamma Aquilae ...