गोपालदास नीरज
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गोपालदास नीरज (04 जनवरी1925) इक्कीसवीं सदी में हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि एवं बॉलीवुड गीतकार हैं।
दोहे
[सम्पादन]- कवियों की और चोर की गति है एक समान।
दिल की चोरी कवि करे लूटे चोर मकान।।
- जिनको जाना था यहां पढ़ने को स्कूल।
जूतों पर पालिश करें वे भविष्य के फूल।।
- करें मिलावट फिर न क्यों व्यापारी व्यापार।
जब कि मिलावट से बने रोज यहां सरकार।।
- रुके नहीं कोई यहां नामी हो कि अनाम।
कोई जाए सुबह को कोई जाए शाम।।
- राजनीति शतरंज है, विजय यहां वो पाय।
जब राजा फंसता दिखे पैदल दे पिटवाय।।
- तोड़ो, मसलो या कि तुम उस पर डालो धूल।
बदले में लेकिन तुम्हें खुशबू ही दे फूल।।
- पूजा के सम पूज्य है जो भी हो व्यवसाय।
उसमें ऐसे रमो ज्यों जल में दूध समाय।।
- हम कितना जीवित रहे, इसका नहीं।
महत्व हम कैसे जीवित रहे, यही तत्व अमरत्व।।
- जीने को हमको मिले यद्यपि दिन दो-चार।
जिएं मगर हम इस तरह हर दिन बनें हजार।।
- स्नेह, शान्ति, सुख, सदा ही करते वहां निवास।
निष्ठा जिस घर मां बने, पिता बने
विश्वास।।
- किया जाए नेता यहां, अच्छा वही शुमार।
सच कहकर जो झूठ को देता गले उतार।।
- कागज की एक नाव पर मैं हूं आज सवार।
और इसी से है मुझे करना सागर पार।।
- कैंची लेकर हाथ में वाणी में विष घोल।
पूछ रहे हैं फूल से वो सुगंध का मोल।।
- इंद्रधनुष के रंग-सा जग का रंग अनूप।
बाहर से दीखे अलग भीतर एक स्वरूप।।
मौसम कैसा भी रहे कैसी चले बयार
बड़ा कठिन है भूलना पहला-पहला प्यार।।