पीपा संज्ञा पुं॰ [?] बड़े ढोल के आकार का या चौकोर काठ या लोहे का पात्र जिसमें मद्य, तेल आदि तरल पदार्थ रखे और चालान किए जाते हैं । विशेष—बरसात के अतिरिक्त अन्य दिनों में बड़े बड़े पीपों को पंक्ति में बिछाकर नदियों पर पुल भी बनाए जाते हैं ।